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25 रुपये तक दाम घट सकते हैं अगर डीजल और पेट्रोल को GST में जोड़ा जाए तो
देश में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में ईंधन की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे लोग परेशान हैं। ऐसे में, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पेट्रोल और डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाता है, तो इनकी कीमतों में 20 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ सकती है।
वर्तमान कर ढाँचा और इसकी चुनौतियाँ:
वर्तमान में पेट्रोल और डीजल पर केंद्र और राज्य सरकारें विभिन्न प्रकार के कर लगाती हैं, जिसमें केंद्रीय उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) और वैट (वैट) शामिल हैं। यह कर संरचना अत्यधिक जटिल और भारी है, जिससे ईंधन की कीमतें बढ़ जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली में पेट्रोल पर 32% वैट और डीजल पर 16.75% वैट लगता है, जो कि कीमतों में भारी इजाफा करता है।
जीएसटी के दायरे में आने के फायदे:
अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो यह एक समान कर प्रणाली लागू करेगा, जिससे कीमतें नियंत्रित होंगी। वर्तमान में जीएसटी की अधिकतम दर 28% है। अगर ईंधन पर भी यही दर लागू की जाती है, तो करों में कमी आएगी और कीमतें स्वाभाविक रूप से घटेंगी।
विशेषज्ञों की राय:
अर्थशास्त्रियों और ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने से न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि इससे ईंधन की कीमतों में पारदर्शिता भी आएगी। भारतीय रिफाइनरी एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने कहा, "जीएसटी के दायरे में लाने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कम से कम 20 रुपये प्रति लीटर की कमी आएगी। इससे परिवहन लागत में कमी आएगी और महंगाई पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।"
सरकार की चुनौतियाँ और विचार:
हालांकि, सरकार के लिए यह निर्णय लेना आसान नहीं होगा। पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले करों से केंद्र और राज्य सरकारों को बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त होता है। सरकार के सामने चुनौती यह है कि अगर जीएसटी के तहत ईंधन लाया जाता है, तो इस राजस्व की भरपाई कैसे होगी। इसके बावजूद, सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है और जल्द ही कोई ठोस निर्णय लेने की संभावना है।
आम जनता की प्रतिक्रियाएँ:
आम जनता ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। लोगों का मानना है कि अगर पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटती हैं, तो उनका रोजमर्रा का जीवन आसान हो जाएगा। दिल्ली के निवासी रोहित शर्मा ने कहा, "पेट्रोल और डीजल के दाम अगर घटते हैं, तो हमारे लिए बहुत राहत होगी। हर दिन के खर्चे में काफी फर्क पड़ेगा।" इसी तरह, मुंबई की गृहिणी सुनीता वर्मा ने कहा, "ईंधन की कीमतों में कमी से हमारे परिवार का बजट बेहतर होगा। हमें उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी।"
भविष्य की संभावनाएँ:
अगर सरकार इस कदम को उठाती है, तो यह देश के आर्थिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। परिवहन और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में खर्च कम होने से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में भी कमी आ सकती है। इससे महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा और आम आदमी को राहत मिलेगी।
निष्कर्ष:
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण और साहसिक कदम हो सकता है, जो देश की आर्थिक संरचना में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। हालांकि, सरकार को इस निर्णय से जुड़े सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा। अगर यह कदम उठाया जाता है, तो न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति भी बेहतर हो सकती है। अब देखना यह है कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है और कब यह निर्णय लागू होता है।